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हम तुम्हारे समीप ही, मन जाए कहीं भी || आचार्य प्रशांत, गुरु नानक पर (2014)

2019-11-29 1 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />२ जुलाई, २०१४<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />पौड़ी : (रहरासि, नितनेम)<br />तूं घट घट अंतरि सरब निरंतरि जी हरि एको पुरखु समाणा ॥<br /><br />प्रसंग:<br />मन इतना भटकता क्यों है?<br />किसके लिए भटकता है मन?<br />मन को कैसे नियंत्रित करें?<br />क्या मन को हम खुद भटकाते है?<br />जब मन भटके, तो क्या करना चाहिए?<br />मन के भटकने को कैसे रोकें?<br />मन की दौड़ को हमेशा के लिए कैसे रोकें?<br />मन सही लक्ष्य से भटक क्यों जाता है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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